इस बार के नगरी निकाय चुनाव में कुम्हारी के वार्ड क्रमांक 03 एसटी श्रेणी के लिए आरक्षित किया गया है। जिसमें बीजेपी प्रत्याशी हेमांश ठाकुर है वहीं कांग्रेस की ओर से ललिता ध्रुव प्रत्याशी है। ललिता ध्रुव के पति किशोर सोनकर (ओबीसी) है। ऐसे में लोगों के बीच चर्चा हो रही है कि अगर पति ओबीसी है तो वह आरक्षण का लाभ कैसे ले रही है?
आईए जानते है क्या कहता है कानून
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 19 जनवरी 2018 को दिए गए एक फैसले में कहना था कि “किसी महिला या व्यक्ति की जाति का निर्धारण जन्म के आधार पर होता है और शादी के बाद वह अपनी जाति को बदल नहीं सकता है।”
सरल शब्दों में कहे तो विवाहित महिलाओं की जाति उनकी शादी के बाद नहीं बदलती है। उनकी जाति वही रहती है जो उनके जन्म के समय थी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जाति जन्म से निर्धारित होती है, न कि शादी से। इसलिए, किसी महिला की शादी के बाद उसकी जाति में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
- महिला की जाति: महिला की जाति उसके पति या बच्चों की जाति को निर्धारित नहीं करती है। महिला की जाति वही रहती है जो उसके जन्म के समय थी।
- पति की जाति: यदि पति आरक्षित वर्ग से संबंधित है, तो उसके बच्चों को भी आरक्षण का लाभ मिल सकता है, भले ही उनकी मां किसी अन्य जाति की हों।
- बच्चों की जाति: बच्चों की जाति उनके पिता की जाति के अनुसार निर्धारित होती है। यदि पिता आरक्षित वर्ग से संबंधित है, तो बच्चों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।
- यदि महिला सामान्य वर्ग से है और पति आरक्षित वर्ग से: इस स्थिति में, बच्चों को आरक्षण का लाभ मिलेगा, क्योंकि उनके पिता आरक्षित वर्ग से हैं।
- यदि महिला आरक्षित वर्ग से है और पति सामान्य वर्ग से: इस स्थिति में, बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि उनके पिता सामान्य वर्ग से हैं।
- यदि महिला और पति दोनों आरक्षित वर्ग से हैं: इस स्थिति में, बच्चों को दोनों वर्गों के आरक्षण का लाभ मिल सकता है।
पिछले निकाय चुनाव में भी नगर में यह चर्चा का विषय था।